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Friday, 22 October 2021

बांग्लादेश हिंसा: आखिरकार पकड़ा गया हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने वाला इकबाल

बांग्लादेश हिंसा: आखिरकार पकड़ा गया हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने वाला इकबाल

 

 ढाका 
बांग्लादेश के दुर्गा पूजा के पंडालों में हुए हमलों में और हिंसा मामले में बांग्लादेश की कोमिला पुलिस ने हिंसा भड़काने के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। ढाका ट्रिब्यून ने कोमिला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) फारुक अहमद का हवाला देते कहा कि बांग्लादेश पुलिस ने कोमिला और अन्य स्थानों पर हालिया हिंसा को भड़काने के लिए जिम्मेदार इकबाल हुसैन की पहचान के कुछ घंटों बाद उसे गुरुवार को कॉक्स बाजार से गिरफ्तार किया गया। पुलिस अधिकारी के अनुसार, आरोपी इकबार हुसैन को कल रात लगभग 10:10 बजे कॉक्स बाजार के शुगंधा समुद्र तट क्षेत्र से पकड़ा गया। इकबाल पर आरोप है कि उसने ही पहले इस्लामिक पवित्र पुस्तक कुरान को दुर्गा पूजा स्थल पर रखा था, जो हिंसा का कारण बना। बांग्लादेश के दुर्गा पूजा के पंडालों में हुए हमलों में कम से कम तीन लोगों की जान चली गई थी। 

गुरुवार को ही बांग्लादेश की कोमिला पुलिस ने दावा किया था कि सीसीटीवी में हिंसा भड़काने के पीछे जो व्यक्ति जिम्मेदार था, उसकी पहचान कर ली गई है। पुलिस ने इस मामले में 35 साल के इकबाल हुसैन से पूछताछ की थी और फिर बाद में गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले मंगलवारको बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के निर्देश देश के गृह मंत्री को दिए थे।। मंगलवार को उन्होंने गृहमंत्री से कहा था कि वह उन लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई शुरू करें, जिन्होंने धर्म का इस्तेमाल कर हाल में हिंसा भड़काई थीं। 
 
क्या है मामला
गौरतलब है कि बीते बुधवार से बांग्लादेश में हिंदुओं के मंदिरों पर हमले बढ़ गए हैं। दरअसल, इससे पहले दुर्गा पूजा समारोहों के दौरान सोशल मीडिया पर कथित तौर पर ईश निंदा करने वाला एक पोस्ट देखने को मिला था। शनिवार देर रात बांग्लादेश में एक भीड़ ने 66 मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया और कम से कम 20 मकानों को आग के हवाले कर दिया। वहीं स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक अलग-अलग हमलों में हिंदू समुदाय के छह लोग मारे गए हैं, लेकिन इस आंकड़े की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है।

Saturday, 16 October 2021

तालिबान से बचकर निकलीं 100 महिला फुटबॉल खिलाड़ी, परिवारों के साथ अफगानिस्तान से पहुंची कतर

तालिबान से बचकर निकलीं 100 महिला फुटबॉल खिलाड़ी, परिवारों के साथ अफगानिस्तान से पहुंची कतर

 



नई दिल्ली  
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से महिलाएं खौफ में जी रही हैं। तालिबान महिलाओं के खिलाफ अपनी दमनकारी नीति के लिए जाना जाता है, यही कारण है नेशनल फुटबॉल टीम के सदस्यों समेत 100 महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को अफगानिस्तान से निकाला गया है। गुरुवार को  फ्लाइट के जरिए उन्हें दोहा लाया गया है। कतर के सहायक विदेश मंत्री लोलवाह अल-खतर ने एक ट्वीट में कहा, "महिला खिलाड़ियों सहित लगभग 100 फुटबॉल खिलाड़ी और उनके परिवार बोर्ड में हैं।"


 बताया कि ग्रुप में कम से कम 20 राष्ट्रीय महिला टीम फुटबॉल खिलाड़ी शामिल हैं। निकलाने के साथ खिलाड़ियों को कोरोनो वायरस परीक्षण से गुजरने के लिए एक परिसर में ले जाया गया। यह साफ नहीं है कि वे कब तक कतर में रहेंगे।फुटबॉल की विश्व शासी निकाय फीफा, अफगानिस्तान से खिलाड़ियों को निकालने के लिए कतर सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के संघ, FIFPRO ने अगस्त में अफगानिस्तान महिला राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों के लिए काबुल से बाहर निकलने के लिए उड़ानों में सीट सुरक्षित करने में मदद की।

अगस्त में अफगान सरकार के गिरने के बाद तालिबान ने 20 साल बाद फिर देश पर अपना कब्जा कर लिया, जिसके बाद से महिला एथलीटों समेत सभी महिलाओं  की सुरक्षा के लिए चिंताएं उठाई गईं। अफ़ग़ान महिला फ़ुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान, खालिदा पोपल ने अफगानिस्तान में खिलाड़ियों से अपने स्पोर्ट्स गियर को जलाने और तालिबान शासन के प्रतिशोध से बचने के लिए अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को हटाने का आग्रह किया था।
 
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से देश की कई महिला फुटबॉल खिलाड़ी छिप गई हैं। उन्हें डर है कि अगर तालिबान को उनका पता चला तो वे उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। अगस्त में तालिबान के देश पर कब्जा करने के तुरंत बाद, अफगानिस्तान की महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की एक पूर्व खिलाड़ी फानूस बसीर भाग गई और उन्होंने कहा कि तालिबान शासन में उनका कोई भविष्य नहीं है।

उन्होंने कहा, "हमारे देश के लिए, हमारे भविष्य के लिए, अफगानिस्तान में महिलाओं के भविष्य के लिए हमारे बहुत सारे सपने थे। यह हमारा सबसे बुरा सपना था कि तालिबान आएंगे और पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेंगे। महिलाओं के लिए कोई भविष्य नहीं है।" पिछले महीने, अफगानिस्तान की जूनियर राष्ट्रीय टीम की महिला खिलाड़ी सीमा पार करके पाकिस्तान चली गईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, महिलाओं को डरर था कि उनके अधिकारों पर कार्रवाई की जाएगी जिसके तहत लड़कियों ने हफ्तों तक छिपने का समय बिताया।

पाक फिर हुआ बेनकाब, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों के पीछे ISI का हाथ

पाक फिर हुआ बेनकाब, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों के पीछे ISI का हाथ

 

 नई दिल्ली 
जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों और गैर-मुस्लिमों पर हाल में हुए हमलों के पीछे आईएसआई का सुनियोजित षडयंत्र है। माना जा रहा है कि एक बड़ी साजिश कश्मीर में बड़े पैमाने पर अस्थिरता के लिए रची गई है। इसके तहत ही करीब 200 लोगों को लक्ष्य बनाकर हत्या (टारगेट किलिंग) करने की तैयारी थी। सेना और सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे जबरदस्त ऑपरेशन के बावजूद पाकिस्तान की ओर से आतंकी गुटों को लगातार शह मिल रही है। घुसपैठ के जरिये नए आतंकी भेजने का प्रयास भी जारी है।


 खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने हाल ही में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में कई आतंकी संगठनों के आकाओं से मुलाकात की है। यह बैठक 21 सितंबर को हुई थी। भारतीय खुफिया एजेंसियों को आईएसआई और आतंकी संगठनों के बीच हुई गोपनीय बैठक की कई कड़ियां मिली हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने इसे ध्यान में रखकर अलर्ट जारी कर दिया है। 

 खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआई ने आतंकी संगठनों को जम्मू-कश्मीर में हमले तेज करने को कहा है। खासतौर पर कश्मीरी पंडितों और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाने को कहा गया है। आईएसआई ने बड़ी संख्या में आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में लॉन्च करने की साजिश भी रची है। साथ ही टारगेट किलिंग बढ़ाने को कहा है। साजिश के तहत आम कश्मीरी पंडित, गैर मुस्लिम व पुलिस, सुरक्षाबलों और खुफिया विभाग में काम कर रहे कश्मीरियों पर हमले करने को कहा गया है। गैर-कश्मीरी लोगों और भाजपा-आरएसएस से जुड़े लोगों को भी निशाना बनाने को कहा गया है।
 
 हमलों के लिए आतंकियों ने अपनी भूमिका इस बार बदल ली है। जो ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) हमलों में आतंकियों की साजो सामान और सूचना आदि पहुंचाने में मदद करते थे उनको हमलों और हत्या को अंजाम देने की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि आतंकी अब मददगार की भूमिका में पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं। छोटे हथियारों से लक्षित हत्या का मकसद आतंकी गुटों और पाकिस्तान को जिम्मेदारी से बचाना है। जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने गुमराह करने वाली तस्वीर पेश की जा सके।

Saturday, 9 October 2021

चीन लड़ने ताइवान की सेना को गुप्त रूप से प्रशिक्षण दे रही अमेरिकी आर्मी

चीन लड़ने ताइवान की सेना को गुप्त रूप से प्रशिक्षण दे रही अमेरिकी आर्मी

 

ताइपे
दक्षिण चीन सागर में चीनी सेना की बढ़ती दादागिरी के बीच अब अमेरिका ने ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी तेज कर दी है। अमेरिकी मीडिया में आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यूएस आर्मी के ट्रेनर पिछले एक साल से ताइवान की सेना को गुपचुप तरीके से प्रशिक्षण दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि अमेरिकी विशेष बलों के करीब 24 सैनिक और कई मरीन सैनिक ताइवान की सेना को ट्रेनिंग दे रहे हैं।

इस बड़े खुलासे से चीन और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ने के आसार तेज हो गए हैं। अमेरिकी अखबार वॉल स्‍ट्रीट जनरल ने ताइवान के सैनिकों को प्रशिक्षण देने का खुलासा किया है। इन प्रशिक्षकों को सबसे पहले ट्रंप प्रशासन ने ताइवान भेजा था लेकिन अभी तक उनकी उपस्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। यह खुलासा ऐसे समय पर हुआ है जब ताइवान की राष्‍ट्रपति त्‍साई इंग वेन ने शुक्रवार को कहा था कि ताइवान अपने लोकतांत्रिक जीवनशैली और स्‍वतंत्रता को बचाने के लिए जो जरूरी होगा, उसे करेगा।


'ताइवान अपनी स्‍वतंत्रता की रक्षा के लिए हर संभव उपाय करेगा'
ताइपे में ताइवानी राष्‍ट्रपति ने कहा, 'ताइवान चीन के साथ सैन्‍य संघर्ष नहीं चाहता है। ताइवान अपने पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण, स्‍थायी और आपसी फायदे वाले सहअस्तित्‍व की आशा करता है। लेकिन ताइवान अपनी स्‍वतंत्रता की रक्षा और लोकतांत्रिक जीवनशैली को बचाने के लिए जो भी जरूरी होगा, उसे वह करेगा।' बताया जा रहा है कि अमेरिकी सेना वर्ष 1979 के बाद से स्‍थायी रूप से ताइवान में मौजूद नहीं हैं। वर्ष 1979 में ताइवान के साथ अमेरिका ने अपना राजनयिक मिशन शुरू किया था।

पेंटागन के प्रवक्‍ता जॉन सूप्‍पल ने कहा कि वह इस खबर पर सीधे तौर पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे लेकिन माना कि चीन के वर्तमान खतरे को देखते हुए ताइवान को अपनी रक्षा के लिए सहयोग जारी रहेगा। हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मामलों के विशेषज्ञ जैकब स्‍टोक्‍स ने कहा, 'यह एक महत्‍वपूर्ण कदम है लेकिन यह मुख्‍य रूप से उकसावे वाला नहीं है बल्कि ताइवान की रक्षा क्षमता को बढ़ाएगा।' उन्‍होंने कहा कि अमेरिका इसे चुपचाप कर रहा है और इसका काफी महत्‍व है।


चीन ने अमेरिका को ताइवान पर दी है कड़ी चेतावनी
इससे पहले ताइवान ने खुलासा किया था कि अमेरिकी मरीन रैडर्स उसकी धरती पर मौजूद हैं। हालांकि उसने कहा कि यह ताइवान-अमेरिका सैन्‍य आदान- प्रदान का हिस्‍सा है और प्रशिक्षण में मदद कर रहे हैं। अमेरिका ने इस खबर को गलत बताया था। इससे पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका से अनुरोध किया था कि वह ताइवान को सैन्‍य मदद देना बंद करे। उसने कहा कि चीन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय एकजुटता की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा।

दुन‍िया की पहली मलेरिया वैक्‍सीन को मिली मंजूरी, जाने इसके बारे में कैसे करता है काम

दुन‍िया की पहली मलेरिया वैक्‍सीन को मिली मंजूरी, जाने इसके बारे में कैसे करता है काम


नई दिल्ली 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन को स्‍वीकृति दे दी है। मच्छर इस बीमारी की वजह से एक वर्ष में 400,000 से अधिक लोगों को मारती है, जिनमें ज्यादातर अफ्रीकी बच्चे होते हैं। Mosquirix का टीका ब्रिटिश दवा निर्माता ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा विकसित किया गया था। अफ्रीकी महाद्वीप में मलेरिया से हर दो मिनट में एक बच्चे की मौत होती है। इस वैक्सीन को सबसे पहले ब्रिटिश दवा निर्माता कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन ने 1987 में बनाया था। आइए जानते है इस वैक्‍सीन से जुड़ी जरुरी बातें। 
मच्छर क्या है? 
यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी के अनुसार, मॉस्क्युरिक्स एक टीका है जो 6 सप्ताह से 17 महीने की उम्र के बच्चों को मलेरिया से बचाने में मदद करने के लिए दिया जाता है। यह हेपेटाइटिस बी वायरस से लीवर के संक्रमण से बचाने में भी मदद करता है, लेकिन यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने चेतावनी दी है कि टीके का उपयोग केवल इस उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए। 

वैक्सीन को 1987 में ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा विकसित किया गया था। हालांकि, यह चुनौतियों का सामना करता है: मॉसक्विरिक्स को चार खुराक तक की आवश्यकता होती है, और इसकी सुरक्षा कई महीनों के बाद फीकी पड़ जाती है। फिर भी, वैज्ञानिकों का कहना है कि अफ्रीका में मलेरिया के खिलाफ टीके का बड़ा असर हो सकता है। 2019 के बाद से, घाना, केन्या और मलावी में WHO द्वारा समन्वित एक बड़े पैमाने पर पायलट कार्यक्रम में शिशुओं को Mosquirix की 2.3 मिलियन खुराक दी गई है। जिन लोगों को यह बीमारी होती है उनमें से अधिकांश पांच साल से कम उम्र के हैं।
 Mosquirix का उपयोग कैसे किया जाता है?
 Mosquirix को 0.5 मिली इंजेक्शन के रूप में जांघ की मांसपेशियों में या कंधे के आसपास की मांसपेशी (डेल्टॉइड) में दिया जाता है। बच्चे को प्रत्येक इंजेक्शन के बीच एक महीने के साथ तीन इंजेक्शन दिए जाते हैं।  Mosquirix केवल एक नुस्खे के साथ प्राप्त किया जा सकता है। मच्छर कैसे काम करता है? यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी के वैज्ञानिकों का कहना है कि मॉस्क्युरिक्स में सक्रिय पदार्थ प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बना होता है।

Thursday, 7 October 2021

पाकिस्तान में 6.0 तीव्रता से आया भूकंप , 20 लोगों के मरने की आशंका, 200 से अधिक घायल

पाकिस्तान में 6.0 तीव्रता से आया भूकंप , 20 लोगों के मरने की आशंका, 200 से अधिक घायल

   इस्लामाबाद

पाकिस्तान में गुरुवार तड़के तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसमें कम-से-कम 20 लोगों के मरने की आशंका है, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. पाकिस्तान के क्वेटा के हरनेई इलाके में आए भूकंप की तीव्रता 5.7 आंकी गई है. इससे भारी नुकसान की आशंका जताई जा रही है.

मालूम हो कि रिक्टर स्केल पर भूकंप की 6 के आसपास की तीव्रता काफी मानी जाती है और इससे ठीक-ठाक नुकसान होने की आशंका बनी रहती है.

पाकिस्तान में यह भूकंप आज सुबह तकरीबन तीन बजे आया, जिसके बाद हड़कंप मच गया. घर में आराम से सो रहे लोगों ने  आनन-फानन में बाहर निकलकर बचने की कोशिश की. इसके अलावा, भूकंप से कई मकानों को भी नुकसान पहुंचा है. वहीं, डिजाजटर मैनेजमेंट के अधिकारियों का कहना है कि अभी मृतकों का आंकड़ा और बढ़ सकता है.  

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी सुहैल अनवर हाशमी ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि छतों और दीवारों के गिरने से कई पीड़ितों की मौत हो गई. वहीं, सरकार के मंत्री मीर जिया उल्लाह ने कहा कि हमें सूचना मिल रही है कि भूकंप के कारण 20 लोग मारे गए हैं. बचाव-अभियान जारी है.

इलाके के डिप्टी कमिश्नर ने न्यूज एजेंसी को बताया कि भूकंप से कम से कम 200 लोग घायल हुए हैं और उन्होंने मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है.

भूकंप के बाद सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें सामने आई हैं. लोग भूकंप के झटके के बाद सड़कों पर निकलते दिख रहे हैं. पाकिस्तान में तेज भूकंप के झटके बाद राहत एवं बचाव अभियान शुरू कर दिया गया है. हादसे में घायल हुए लोगों को नजदीक के अस्पताल में भर्ती करवाया जा रहा है. 

ईरान अजरबैजान-इजरायल दोस्ती पर भड़का, बोला- यहूदियों की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं

ईरान अजरबैजान-इजरायल दोस्ती पर भड़का, बोला- यहूदियों की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं

 

तेहरान
ईरान ने अजरबैजान और इजरायल की दोस्ती को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। ईरानी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि उसे काकेशस में इजरायल की मौजूदगी को लेकर गंभीर चिंताएं है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में यहां तक दावा किया गया है कि ईरान ने अजरबैजानी सेना के विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है। ईरान को बड़ी चिंता अपनी सीमा के नजदीक इजरायली हथियारों की मौजूदगी को लेकर है।

ईरान ने कहा- हमें जायोनीवादियों की मौजूदगी कबूल नहीं
ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने मॉस्को में कहा कि हम निश्चित रूप से काकेशस में भू-राजनीतिक परिवर्तन और मानचित्र परिवर्तन को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमें इस क्षेत्र में आतंकवादियों और जायोनीवादियों (यहूदी देश के समर्थक) की उपस्थिति के बारे में गंभीर चिंता है। ईरान पहले भी इजरायल की मौजूदगी को लेकर चेतावनी दे चुका है।

ईरान और अजरबैजान में क्यों बढ़ा तनाव?
ईरान और अजरबैजान में तनाव बढ़ने के कई कारण है। पहला यह कि अजरबैजान ने हाल में ही ईरान सीमा के नजदीक पाकिस्तान और तुर्की के साथ मिलकर सैन्य अभ्यास किया था। दूसरा, अजरबैजान ने आर्मीनिया जाने वाले ईरानी ट्रकों के लिए रास्ते को बंद कर दिया था। इतना ही नहीं, अजरबैजान ने कुछ ईरानी ट्रक ड्राइवरों को हिरासत में भी लिया था। तीसरा, इजरायल और अजरबैजान में बढ़ती दोस्ती से भी ईरान चिढ़ा हुआ है।

ईरान बोला- इजरायल की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं
इसके जवाब में ईरान ने भी अजरबैजान से लगती सीमा पर भारी हथियारों को तैनात कर दिया है। ईरानी सेना ने भी इस इलाके में सैन्य अभ्यास शुरू किया है। इसी सैन्य अभ्यास के शुरू होने के पहले ईरानी विदेश मंत्री अमीर-अब्दुल्लाहियन ने अपने अजरबैजानी समकक्ष से कहा था कि ईरान हमारी सीमाओं के बगल में इजरायल की उपस्थिति या गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कोई भी आवश्यक कार्रवाई करने की कसम भी खाई।

शिया आबादी के बावजूद दोस्त नहीं है ईरान और अजरबैजान
ईरान और अजरबैजान की 700 किलोमीटर की सीमा है। अजरबैजान की बहुसंख्यक आबादी शिया है, इसके बावजूद उसके संबंध ईरान के साथ अच्छे नहीं है। वहीं, आर्मीनिया की बहुसंख्यक आबादी ईसाई है। फिर भी आर्मीनिया और ईरान के संबंध काफी अच्छे हैं। कोरोना महामारी के दौरान ईरान से बड़ी संख्या में लोग आर्मीनिया में वैक्सीन लगवाने पहुंचे थे।

क्या है काकेशस
काकेशस काला सागर और कैस्पियन सागर के बीच का क्षेत्र है। इसमें मुख्य रूप से आर्मीनिया, अजरबैजान, जॉर्जिया और दक्षिणी रूस का कुछ इलाका शामिल है। इसी इलाके में काकेशस पर्वतमाला भी स्थित है। इसे पूर्वी यूरोप और पश्चिम एशिया के बीच प्राकृतिक अवरोध माना जाता है। यूरोप का सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एल्ब्रस 5642 मीटर (18,510 फीट) की ऊंचाई के साथ ग्रेटर काकेशस पर्वत श्रृंखला के पश्चिम भाग में स्थित है

Wednesday, 6 October 2021

पाकिस्तान और कतर तालिबान को मान्यता देने में रह सकते हैं सबसे आगे

पाकिस्तान और कतर तालिबान को मान्यता देने में रह सकते हैं सबसे आगे

 

नई दिल्ली
तालिबान की ओर से अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने और नई सरकार के गठन के बाद भी उसे अभी तक विदेशी देशों से मान्यता मिलने का इंतजार है। सरकार के गठन के एक महिने से अधिक का समय हो चुका है लेकिन अभी तक कोई भी देश उसे मान्यता नहीं दे पाया है। लेकिन अब दुनिया के दो देश पाकिस्तान और कतर तालिबान कैबिनेट को मान्यता देने वाले पहले देश हो सकते हैं। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने बताया कि अफगानिस्तान में अहम भूमिका निभाने वाला तुर्की अभी मान्यता नहीं देगा। तुर्की ने काबुल हवाई अड्डे को बहाल करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नाम न छापने की शर्त पर लोगों ने कहा कि पाकिस्तान और कतर तालिबान की अंतरिम कैबिनेट को मान्यता देने वाले पहले दो देश बन सकते हैं। जिम्मेदारियों के बंटवारे और सत्ता के बंटवारे को लेकर तालिबान के भीतर मतभेदों की खबरों के बाद दोनों देश अपने नेताओं को अफगानिस्तान भेजे हैं।

पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) एजेंसी के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद सितंबर की शुरुआत में तालिबान नेतृत्व के भीतर एक शासी व्यवस्था के गठन को लेकर मतभेदों की रिपोर्ट सामने आने के तुरंत बाद अफगानिस्तान पहुंचे थे। वहीं, कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने लगभग एक सप्ताह बाद काबुल का दौरा किया, और प्रधान मंत्री मोहम्मद हसन अखुंद सहित तालिबान के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत की। लोगों ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल हमीद ने काबुल में तालिबानी नेताओं को एक साथ लाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के कंधार गुट के कट्टरपंथियों को अधिकांश महत्वपूर्ण पद दिए गए थे। बता दें कि पाकिस्तान और कतर दोनों तालिबान से जुड़ने के लिए विश्व समुदाय की पैरवी करते रहे हैं। अल-जजीरा के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को काबुल में 'नई वास्तविकता' के साथ जुड़ना होगा और अफगानिस्तान की संपत्ति को अनफ्रीज करना होगा ताकि देश मानवीय संकट से निपट सके। इससे परिचित लोगों का कहना है कि तालिबानी सरकार को मान्यता देने के लिए तुर्की अभी और इंतजार करेगा। वो बारिकी से अफगानिस्तान पर नजर रख रहा है।

तालिबान हथियारों के साथ गुरुद्वारे में घुसे; कैमरे तोड़ कईयों को बंधक बनाया

तालिबान हथियारों के साथ गुरुद्वारे में घुसे; कैमरे तोड़ कईयों को बंधक बनाया

 

काबुल
अफगानिस्तान में कब्जा कर चुके तालिबान की असली सूरत लगातार सामने आ रही है। ताजा घटनाक्रम के मुताबिक, तालिबान के हथियार बंद लोगों ने काबुल स्थित करता परवन गुरुद्वारे पर हमला बोल दिया। यहां कई लोगों को बंदी बनाया गया है। काबुल का करता परवन गुरुद्वारा वही स्थान है, जहां सिखों के गुरू नानक देव जी आए थे।  इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने एएनआई से बातचीत में कहा, " काबुल में एक बार फिर तालिबान के तमाम दावों की पोल खुली है। अज्ञात भारी हथियारों से लैस तालिबान अधिकारियों के एक समूह ने काबुल स्थित गुरुद्वारे में घुसकर कई लोगों को हिरासत में लिया है।" चंडोक ने कहा, हथियारबंद लोगों ने गुरुद्वारे में मौजूद समुदाय को हिरासत में ले लिया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि तालिबान अधिकारियों ने गुरुद्वारे के सीसीटीवी कैमरों को भी तोड़ दिया। इसके अलावा गुरुद्वारे में भी तोड़फोड़ की गई है। हमले की खबर मिलने पर स्थानीय गुरुद्वारा प्रबंधन भी मौके पर पहुंचा।  करता परवन गुरुद्वारा अफगानिस्तान के उत्तर-पश्चिमी काबुल में स्थित है। इससे पहले, तालिबान ने अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत स्थित गुरुद्वारे की छत से निशान साहिब-सिख पवित्र ध्वज को हटा दिया था। ये वही गुरुद्वारा है जहां एक बार सिखों के गुरू गुरु नानक देव जी ने भी दौरा किया था। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद यहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और बर्बरता की खबरे लगातार सामने आ रही हैं। तालिबान अल्पसंख्यकों की धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर हत्याएं कर रहा है। 

Tuesday, 5 October 2021

मेडिसिन के क्षेत्र में साल 2021 का नोबेल पुरुस्कार

मेडिसिन के क्षेत्र में साल 2021 का नोबेल पुरुस्कार

 


नोबेल समिति ने बताया है कि कैसे डेविड और आर्डम ने यह खोज की जिसके लिए उन्हें सम्मानित किया गया है। हमारी त्वचा पर मौजूद नसों पर तापमान या दबाव का अलग-अलग असर होता है। यह वैज्ञानिकों के सामने हमेशा से एक पहेली बना रहा कि आखिर तापमान, गरमाहट या ठंडक या स्पर्श को कैसे डिटेक्ट किया जाता है और nerve impulse में बदलकर nervous system के उस हिस्से तक पहुंचाया जाता है जहां इनका मतलब हमारे शरीर को समझ में आता है? नई खोज में इसी सवाल का जवाब दिया गया है।

क्या है खोज?

डेविड ने अपनी खोज के लिए मिर्च का इस्तेमाल किया जिससे त्वचा पर दर्द के असर को देखा जाए। उन्होंने cDNA जीन मिला जो ऐसे ion channel (TRPV1) बनाता था जिन्हें पहले कभी खोजा नहीं गया था। ये ion channel ऐसे तापमान पर ऐक्टिवेट हो जाता था जिसे 'दर्द' के बराबार माना गया हो। इसके बाद डेविड और आर्डम ने TRPM8 की खोज की जो ठंडक से जुड़ा रिसेप्टर पाया गया।

क्यों अहम है यह खोज?

आर्डम ने PIEZO1 और PIEZO2, दो मकैनिकल सेंसर्स की खोज की और पाया कि PIEZO2 स्पर्श को पहचानने के लिए अहम होता है। दोनों की खोज ने स्पर्श के एहसास और सर्दी-गर्मी की समझ के पीछे के रहस्य को दुनिया के सामने लाकर रख दिया है। यह हमारे महसूस करने, किसी चीज को पहचानने और उससे इंटरैक्ट करने की क्षमता के लिए बेहद अहम है। उम्मीद की जा रही है कि इस खोज की मदद से महसूस करने की क्षमता से जुड़े सवालों, खासकर बीमारियों का तोड़ निकाल लिया जाएगा।

ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के लिए आज से नई गाइडलाइन जारी

ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के लिए आज से नई गाइडलाइन जारी

 

नई दिल्ली
ब्रिटेन सरकर की यात्रा नियम के खिलाफ आज से भारत सरकार ने  नए यात्रा नियम लागू कर दिए हैं। भारत सरकार यूके नागरिकों के भारत आने को लेकर कुछ जरूरी गाइडलाइन जारी की है।  यह दिशानिर्देश आज यानी 4 अक्तूबर से शुरू हो गया है।  यह नियम सभी ब्रिटेन नागरिकों के लिए या वहां से भारत आने वाले लोगों पर लागू होगा। नागरिकों को भारत पहुंचने पर अपना वैक्सीनेशन रिपोर्ट तो दिखाना होगा।  इसके अलावा सरकार के आदेश का पालन करना होगा।

दरअसल, इंग्लैंड से रवाना होने से 72 घंटे पहले तक की RT-PRC रिपोर्ट लेकर चलना होगा और यहां आने पर उन्हें निगेटिव रिपोर्ट दिखाना होगा। इसके बाद उन्हें भारत में आठ दिन बाद फिर से आर टीपीसीआर टेस्ट करवाना जरूरी है। इसके साथ ही उन्हें इधर उधर भटकने नहीं दिया जाएगा। पूरे दस दिन उन्हें क्वारंटीन में रहना अनिवार्य होगा।

हालांकि, भारत सरकार की कार्रवाई के बाद ब्रिटिश हाई कमीशन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनकी नजरों में भारत सरकार से बातचीत जारी है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि कई लोग भारत से यूके आ रहे हैं। 62,500 छात्रों को इस साल जून तक वीजा दिया जा चुका है। ऐसे में आगे भी ट्रैवल को आसान बनाने की पूरी कोशिश की जाएगी।

वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में दिखा 'दैत्याकार' धूमकेतु

वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में दिखा 'दैत्याकार' धूमकेतु

 


वैज्ञानिकों ने इस साल जून में सौर मंडल के बाहरी किनारे पर एक धूमकेतु को देखा था। इस धूमकेतु का नाम बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन (Bernardinelli-Bernstein) है। इस विशालकाय धूमकेतु का आकार 60 से 120 मील लंबा था। कुछ रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि यह अब तक का देखा गया सबसे बड़ा धूमकेतु है। अगर धूमकेतु की लंबाई इसके अधिकतम बिंदु तक है तो इसका आकार लंदन से बर्मिंघम तक फैला होगा।
धूमकेतु की दुनिया में सबसे अधिक प्रसिद्ध 'हेली धूमकेतु' की लंबाई 3.5 मील थी। Pennsylvania यूनिवर्सिटी के Gary Bernstein ने कहा कि हमने अब तक का सबसे बड़ा धूमकेतु खोजा है या अब तक का सबसे बड़ा धूमकेतु है जिस पर अध्ययन किया गया। सबसे बड़े धूमकेतु की खोज का सौभाग्य मिला है। इसकी खोज पास आने और गर्म होने से पहले ही कर ली गई है ताकि मानव इसके विकास को देख सकें।

2031 में सूर्य के नजदीक से गुजरेगा

वैज्ञानिकों ने कहा कि यह धूमकेतु पृथ्वी के लिए किसी तरह का खतरा नहीं है। न्यूयॉर्क पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि यह कम से कम 2031 में सूर्य को 10.71 astronomical units की दूरी से पार करेगा। यह धूमकेतु Oort Cloud नाम के हिस्से से आ रहा है जिसे स्टडी करना अपने आप में बेहद अहम है और सौर मंडल के कई रहस्यों को उजागर भी कर सकता है।

30 लाख साल से सौर मंडल में नहीं किया प्रवेश

यह धूमकेतु 30 लाख साल से सौर मंडल में नहीं आया है। सौर मंडल के बाहरी हिस्से के बारे में अभी हमें ज्यादा जानकारी नहीं है। इसलिए वहां से आने वाले ऑब्जेक्ट्स में वैज्ञानिकों की दिलचस्पी ज्यादा रहती है। इसका आकार 155 किमी डायमीटर का है लेकिन दूरी की वजह से टेलिस्कोप की मदद से ही दिखेगा। इसे स्टडी करना इसलिए खास है क्योंकि माना जाता है कि ये बर्फीली चट्टानें सौर मंडल के 4.5 अरब साल पहले बनने के बाद से अब तक ज्यादा बदली नहीं है। इसकी केमिकल बनावट के आधार पर शुरुआती सौर मंडल के बारे में भी जानने को मिलेगा।

Monday, 4 October 2021

Dubai Expo 2020: पीएम मोदी ने कहा, भारत-यूएई दोस्ती का प्रतीक है भारतीय पवेलियन

Dubai Expo 2020: पीएम मोदी ने कहा, भारत-यूएई दोस्ती का प्रतीक है भारतीय पवेलियन

 


अमीरात
संयुक्त अरब अमीरात में आज से दुबई एक्सपो 2020 शुरू हो गया है. इसके साथ ही यहां इंडिया पवेलियन भी लांच किया गया. दुबई एक्सपो 2020 में भारतीय पवेलियन के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह भारत-यूएई की बढ़ती दोस्ती का प्रतीक है. भारत और यूएई के साझा हित हैं. पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपनी जीवंतता और विविधता के लिए प्रसिद्ध है. हमारे पास विभिन्न संस्कृतियां, भाषाएं, व्यंजन, कला, संगीत और नृत्य हैं. यह विविधता हमारे पवेलियन में झलकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले सात सालों में भारत सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई सुधार किए हैं. हम इस ट्रेंड को जारी रखने के लिए और अधिक प्रयास करते रहेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि भारत स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष को अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है. हम सभी को भारतीय पवेलियन का दौरा करने और न्यू इंडिया में अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित करते हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक्सपो 2020 की मेन थीम कनेक्टिंग माइंड्स, क्रिएटिंग द फ्यूचर है. इसकी भावना भारत के प्रयासों में भी दिखाई देती है, क्योंकि हम एक नया भारत बनाने के लिए आगे बढ़ते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, भारत इस एक्सपो में सबसे बड़े पवेलियनों में से एक के साथ भाग ले रहा है. मुझे विश्वास है कि यह एक्सपो यूएई और दुबई के साथ हमारे गहरे तथा ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करने में काफी मददगार साबित होगा.

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन से पहले ही इस बारे में जानकारी दी थी कि वह एक्सपो 2020 में इंडिया पवेलियन के शुभारंभ के मौके पर संबोधित करेंगे. हालांकि, उनके संबोधन के समय में थोड़ी देरी हुई. पीएम मोदी ने ट्वीट किया था, लगभग 8:10 बजे, मैं एक्सपो 2020 दुबई में लुभावने इंडिया पवेलियन के शुभारंभ पर अपनी टिप्पणी साझा करूंगा. हमारे पवेलियन की थीम खुलापन, अवसर, विकास है, यह सिद्धांत हैं, जिनके लिए भारत प्रतिबद्ध है. यह भारत की विविधता और निवेश क्षमता पर प्रकाश डालता है.

ताइवान के रक्षा क्षेत्र में लगातार दूसरे दिन घुसे 60 चीनी लड़ाकू विमान, विदेश मंत्रालय ने किया ट्वीट

ताइवान के रक्षा क्षेत्र में लगातार दूसरे दिन घुसे 60 चीनी लड़ाकू विमान, विदेश मंत्रालय ने किया ट्वीट

 


ताइपे
ताइवान ने कहा कि पिछले दो दिनों में कम से कम 58 चीनी लड़ाकू विमानों ने उसके हवाई रक्षा क्षेत्र (एडीआईजेड) में प्रवेश किया, जिनमें से 20 ने अकेले शनिवार को उड़ान भरी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लड़ाकू जेट जैसे दिखने वाले कुल 38 चीनी सैन्य विमान शुक्रवार को ताइवान के रक्षा क्षेत्र में उड़ते हुए नजर आए थे।

ताइवान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, एक अक्तूबर हमारे लिए अच्छा दिन नहीं था। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में 38 युद्धक विमानों को उड़ाया। इसे चीन की ओर से ताइवान के रक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ी घुसपैठ कहा जा सकता है।

मंत्रालय ने बयान में बताया कि इससे पहले शुक्रवार को 25 पीएलए लड़ाकू विमानों ने दिन में एडीआईजेड के दक्षिण-पश्चिमी कोने में प्रवेश किया और अन्य 13 विमानों ने द्वीप के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में घुसपैठ की थी। वहीं ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि शनिवार को दिन में 20 और रात को 19 लड़ाकू विमानों ने ताइवान की ओर उड़ान भरी। इन विमानों में अधिकतर जे-17 और एयू-30 लड़ाकू विमान थे।

दूसरी ओर ताइपे ने अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंधों को बढ़ाकर चीनी आक्रामकता का मुकाबला किया है, जिसका चीन कई बार विरोध कर चुका है। चीन ने धमकी भी दी है कि ताइवान की आजादी का मतलब युद्ध है। चीन ताइवान पर अपना दावा करता है। गृह युद्ध के बाद 1949 में दोनों अलग हो गए, ‘कम्युनिस्ट’ समर्थकों ने चीन पर कब्जा कर लिया था और उसके प्रतिद्वंद्वी ‘नेशनलिस्ट’ समर्थकों ने ताइवान में सरकार बनाई थी। कम्युनिस्ट पार्टी ने शुक्रवार को अपने शासन की 72वीं वर्षगांठ मनाई।

ताइवान के प्रधानमंत्री सुसेंग चांग ने चीनी लड़ाकू विमानों की घुसपैठ के बाद उसकी इस हरकत की निंदा की। उन्होंने कहा कि चीन पिछले एक साल से अधिक समय से ताइवान के दक्षिण में लगातार सैन्य विमान भेज रहा है। चीन ने हमेशा क्षेत्रीय शांति को खतरे में डालने वाली क्रूर और निर्मम कार्रवाई की है।

चीन के राष्ट्रीय दिवस पर हांगकांग के कार्यकर्ताओं ने ताइवान में विरोध प्रदर्शन करलोगों से अपनी अर्थव्यवस्था में चीनी धन की आमद को रोकने के प्रयासों को आगे बढ़ाने की अपील की।

हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक समूह के कार्यकर्ता चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की ओर से दमनकारी व्यवहार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और हांगकांग के मीडिया और राजनीतिक जीवन में घुसपैठ करने के लिए चीन प्रयासों का विरोध कर रहे थे। इस बीच प्रदर्शनकारियों ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शी जिनपिंग की फोटो पर स्याही भी फेंकी।

Saturday, 2 October 2021

शर्तों के साथ मिल रही एंट्री की अनुमति, 18 महीने बाद खुला भारत-नेपाल का वीरगंज बॉर्डर

शर्तों के साथ मिल रही एंट्री की अनुमति, 18 महीने बाद खुला भारत-नेपाल का वीरगंज बॉर्डर

 


रक्सौल (पू.च.)  
करीब 18 माह से कोविड संक्रमण के कारण बंद नेपाल के वीरगंज बॉर्डर को भारतीय समेत तीसरे देशों के नागरिकों व भारतीय वाहनों की आवाजाही के लिए औपचारिक तौर पर खोल दिया गया। शुक्रवार से नेपाल कस्टम ने कोविड से जुड़ी शर्तों के साथ भारतीय निजी वाहनों के प्रवेश की अनुमति दे दी। इससे बॉर्डर से सटे क्षेत्र के लोगों में हर्ष है।


शुक्रवार सुबह करीब सवा दस बजे वीरगंज स्थित नेपाल कस्टम पर सबसे पहले भारतीय वाहन से पहुंचे टूर-ट्रेवल्स व्यवसायी देशबन्धु गुप्ता व मीडिया फॉर बॉर्डर हार्मोनी संगठन के एम राम, दीपक कुमार, अनुज कुमार, लव कुमार समेत अन्य को एंट्री दी गई। इसके लिए इन्हें हेल्थ डेस्क के थर्मल स्क्रीनिंग व कोविड जांच से गुजरना पड़ा। रिपोर्ट निगेटिव आने व नेपाल इमिग्रेशन के अधिकारियों द्वारा सीसीएमसी फॉर्म भरवाने के बाद प्रवेश की अनुमति मिली।

शंकराचार्य गेट पर किया गया स्वागत
इससे पहले वीरगंज बॉर्डर के शंकराचार्य गेट पर पर्यटन एवं होटल व्यवसायी संघ समेत नेपाल, कस्टम, इमिग्रेशन व आर्म्ड पुलिस फोर्स, नेपाल पुलिस आदि के अधिकारियों ने सबसे पहले प्रवेश पाने वाले भारतीय दल का फूल माला से स्वागत किया। वीरगंज के मेयर विजय सरावगी, होटल एवं पर्यटन व्यवसायी संघ के अध्यक्ष हरी पंत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सचेन्द्र सिंह थापा, महासचिव माधव बस्नेत, उपाध्यक्ष कुमार श्रेष्ठ, कोषाध्यक्ष पुष्प श्रेष्ठ, पर्यटन पत्रकार महासंघ के अध्यक्ष शंकर आचार्य, राधे श्याम पटेल आदि भी मौके पर थे। पंत व आचार्य आदि ने बॉर्डर खोलने व भारतीय वाहनों की आवाजाही की अनुमति देने के लिए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का आभार किया। कहा कि इससे पर्यटन, व्यापार की तरक्की के साथ ही द्विपक्षीय जनता के स्तर संबंधों में भी मजबूती आएगी। 

हटाया गए तार व बैरिकेडिंग, एपीएफ का कैंप कायम
बॉर्डर बंद होने के बाद रक्सौल से वीरगंज जाने के क्रम में शंकराचार्य गेट के पास बायीं तरह तार-कांटे का बैरियर लगा दिया गया था, जिसे आर्म्ड पुलिस फोर्स व नेपाल पुलिस के अधिकारियों ने काट कर हटाया गया। उसके बाद पहले भारतीय वाहन को प्रवेश मिला।

UK से भारत आने पर 10 दिन होना होगा क्वारंटीन

UK से भारत आने पर 10 दिन होना होगा क्वारंटीन

 


  नई दिल्ली

भारत सरकार ने जैसे को तैसा के सिद्धांत पर चलते हुए यूके नागरिकों के लिए नए यात्रा नियम जारी किए हैं. सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि भारत सरकार यूके नागरिकों के भारत आने को लेकर कुछ जरूरी गाइडलाइन जारी करने जा रही है. यह दिशानिर्देश 4 अक्टूबर से लागू होंगे. यह नियम सभी यूके नागरिकों के लिए या यूके से भारत आने वाले लोगों पर लागू होगा. 4 अक्टूबर से सभी नागरिकों को भारत पहुंचने पर अपना वैक्सीनेशन रिपोर्ट तो बताना ही होगा. इसके साथ कुछ और महत्वपूर्ण रेगुलेशन भी जारी किए गए हैं.

यूके से रवाना होने से 72 घंटे पहले तक की  RT-PRC रिपोर्ट लेकर चलना होगा. भारत आगमन पर भी उनका RT-PRC टेस्ट करवाना अनिवार्य होगा. यह टेस्ट भारत पहुंचने के आठ दिनों बाद की जाएगी. इसके साथ ही क्वारनटीन रहना अनिवार्य होगा. वो भी कम से कम दस दिनों के लिए. यानी भारत आगमन के बाद अगले दस दिनों तक पृथकवास में ही रहना होगा.

क्या है मामला?

दरअसल भारत सरकार ने यह सख्ती ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय वैक्सीन को मंजूरी नहीं देने के बाद दिखाई है. हालांकि इससे पहले भारत की सख्ती के बाद ब्रिटेन ने भारत की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी तो दी लेकिन इसके साथ ही ये भी कहा कि भारत से ब्रिटेन आने पर भारतीय नागरिकों को वैक्सीन लगाने के बावजूद भी क्वारंटीन रहना होगा.

ब्रिटेन ने अप्रैल महीने में भारत से आने वाले यात्रियों के लिए ‘‘रेड लिस्ट’’ कोविड-19 यात्रा प्रतिबंध शुरू किया था. इन प्रतिबंधों के तहत लोगों के भारत से ब्रिटेन आने पर रोक थी और नयी दिल्ली से अपने देश लौट रहे ब्रिटिश तथा आयरिश नागरिकों के लिए होटल में दस दिन तक पृथक-वास में रहना अनिवार्य था. हालांकि बाद में जब भारत ने सख्ती दिखाई तो ब्रिटेन ने अपने यात्रा प्रतिबंधों में ढील का ऐलान करते हुए भारत को रेड से अंबर सूची में डाल दिया.

इसके तहत भारत में टीका लगवाने वाले यात्री अब अपने घर या पसंद की किसी भी जगह पर दस दिन क्वारनटीन रह सकेंगे. इसके अलावा यात्रियों को भारत से रवाना होने के तीन दिन पहले कोरोना की जांच करानी होगी. साथ ही ब्रिटेन पहुंचने पर दो टेस्ट (पहला पहुंचने के दूसरे दिन और दूसरा आठवें दिन) करवाने होंगे. अब इसी फैसले पर भारत ने पलटवार किया है.

Friday, 1 October 2021

एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन अमेरिकी ट्रायल में 74% प्रभावी

एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन अमेरिकी ट्रायल में 74% प्रभावी

 


वाशिंगटन
एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस की वैक्सीन जल्द अब अमेरिका में लोगों को लगेगी। ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन को अमेरिका में जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। कंपनी अपनी वैक्सीन की मंजूरी के लिए इसी साल अप्लाई करेगी। इस बीच एस्ट्राजेनेका ने बुधवार (29 सितंबर) को अमेरिका में किए गए अपने ट्रायल के नतीजे घोषित किए हैं। एस्ट्राजेनेका पीएलसी की कोविड -19 वैक्सीन बीमारी को रोकने में 74% प्रभावकारी (इफेक्टिव) है। बकि ये आंकड़ा 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में बढ़कर 83.5% है। वहीं मार्च 2021 में कंपनी ने अंतरिम रिपोर्ट बताया था कि वैक्सीन की इफिकैसी 79 फीसदी है।
 
अमेरिकी ट्रायल में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का 74% प्रभावी होना भारत के लिए भी एक अच्छी खबर है। ये रिपोर्ट भारत के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे यहां भी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोवीशील्ड का इस्तेमाल हो रहा है। भारत में फिलहाल कोवीशील्ड, भारत बॉयोटेक की कौवैक्सिन और स्पूतनिक कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
 
ट्रॉयल के नतीजों के बारे में जानें
-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के ट्रॉयल के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, चिली और पेरू में 26,000 से अधिक वॉलेंटियर ने हिस्सा लिया था। जिन्हे लगभग एक महीने के अंतराल में वैक्सीन की दो डोज दी गई थी।

चीन छोटे देशों को कर्ज में ऐसे फंसा रहा

चीन छोटे देशों को कर्ज में ऐसे फंसा रहा

 

बीजिंग
चीन के महत्वाकांक्षी विदेशी बुनियादी ढांचे ने 385 अरब डॉलर के साथ गरीब देशों को परेशान करके रख दिया है। विदेशों में चीन की एक तिहाई से अधिक परियोजनाएं कथित तौर पर भ्रष्टाचार, घोटालों और विरोधों से प्रभावित हुई हैं। इंटरनेशनल डेवलपमेंट रिसर्च लैब ऐडडेटा की एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्रमुख निवेश अभियान बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत दर्जनों कम आय वाली सरकारों को कर्ज से जकड़ दिया है।

2013 में कार्यक्रम की घोषणा के बाद से चीन ने करीब 163 देशों में सड़कों, पुलों, बंदरगाहों और अस्पतालों के निर्माण के लिए 843 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इसमें अफ्रीका और एशिया के कई देश शामिल हैं।

एडडेटा के कार्यकारी निदेशक ब्रैड पार्क्स ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया है कि इस पैसों का करीब 70 फीसद राज्य के बैंकों या चीनी व्यवसायों और उन देशों में लोकल पार्टनर्स के बीच जॉइंट वेंचर्स को दिया गया है, जो पहले से ही बीजिंग के कर्जदार थे। पार्क्स ने बताया है कि कई गरीब सरकारें और कर्ज नहीं ले सकतीं। अस्पष्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाए गए है और सरकारों को खुद नहीं पता है कि चीन से कितना कर्ज लिया हुआ है। 

ड्रैगन के कारण ही LAC पर अशांति, अब भी सीमा पर सैनिक-हथियार बढ़ा रहा, भारत का चीन को दो-टूक जवाब

ड्रैगन के कारण ही LAC पर अशांति, अब भी सीमा पर सैनिक-हथियार बढ़ा रहा, भारत का चीन को दो-टूक जवाब

 

 नई दिल्ली 
भारत ने एलएसी पर गतिरोध को लेकर चीन पर एक बार फिर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा है। भारत ने कहा कि चीन के भड़काऊ व्यवहार, यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने की कोशिश के चलते पूर्वी लद्दाख में एलएसी से लगते इलाकों में शांति भंग हुई है। भारत ने कहा कि चीन सीमावर्ती इलाकों में लगातार सैनिकों और सैन्य साजो-सामान की तैनाती कर रहा है। इसी की प्रतिक्रिया में भारतीय सशस्त्र बलों को एलएसी पर उचित जवाबी तैनाती करनी पड़ी है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमें उम्मीद है कि चीनी पक्ष पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान की दिशा में काम करेगा। साथ ही पूरी तरह से द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करेगा। चीन ने हाल में आरोप लगाया है कि दोनों देशों के बीच तनाव का मूल कारण नई दिल्ली द्वारा आगे बढ़ने की नीति का अनुसरण करना और चीनी क्षेत्र पर अवैध रूप से अतिक्रमण करना है। 

इसके जवाब में भारत की प्रतिक्रिया आई है। बागची ने कहा कि भारत ने कुछ दिन पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। साथ ही ऐसे बयानों को खारिज कर दिया, जिनका कोई आधार नहीं है। बागची ने कहा कि चीनी पक्ष की ओर से बड़ी संख्या में सैनिकों के जमावड़े और यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास के परिणामस्वरूप पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर शांति प्रभावित हुई।
 
बागची ने कहा कि चीन सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों को तैनात करना जारी रखे हुए है। यह चीनी कार्रवाइयों के जवाब में था कि हमारे सशस्त्र बलों को इन क्षेत्रों में उचित जवाबी तैनाती करनी पड़ी। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत के सुरक्षा हित पूरी तरह से सुरक्षित हैं। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में दुशांबे में एक बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा चीनी समकक्ष को दिए संदेश का भी जिक्र किया। 

बागची ने बताया कि जयशंकर ने इस महीने की शुरुआत में चीनी विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक में जोर देकर कहा था कि चीनी पक्ष पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान की दिशा में काम करेगा। साथ ही द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरीके से पालन करेगा।

Wednesday, 29 September 2021

चीन पर चौतरफा हमला: संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने तिब्बत पर सुनाई जमकर खरी-खोटी, बौखलाया ड्रैगन

चीन पर चौतरफा हमला: संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने तिब्बत पर सुनाई जमकर खरी-खोटी, बौखलाया ड्रैगन

 

न्यूयॉर्क
तिब्बत पर हमला करने के बाद उसे कब्जाने वाले चीन को लेकर संयुक्त राष्ट्र में कड़ी आवाज उठाई गई है और चीन को साफ शब्दों में कहा गया है कि वो तिब्बत में मानवाधिकार का सम्मान करे। जिसके बाद चीन का बुरी तरह से बौखलाना तय है, क्योंकि चीन तिब्बत को एक स्वायत्त क्षेत्र मानता है और तिब्बत में काफी तेजी के साथ उसकी नागरिकता स्थिति में परिवर्तन कर रहा है। चीन को संयुक्त राष्ट्र में फटकार केंद्रीय तिब्बत प्रशासन (सीटीए) ने मंगलवार को कहा कि, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 48वें सत्र में विश्व निकाय के सदस्य देशों के एक ग्रुप ने कहा है कि चीन को तिब्बत में मानवाधिकार का सम्मान करना चाहिए। इस ग्रुप ने चीन से आह्वान किया है कि वो तिब्बत के लोगों को मानवाधिकार को इज्जत दे। तिब्बत को लेकर 26 सदस्य देशों ने एक साथ आवाज उठाई है और चीन द्वारा तिब्बत के लोगों की प्रताड़ना को लेकर चीन की सख्त आलोचना की है। डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड, स्वीडन, स्विटजरलैंड, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) के प्रतिनिधियों ने तिब्बत में चीन द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार हनन पर गंभीर चिंता जताई है। 

 तिब्बत को लेकर चीन की आलोचना संयुक्त राष्ट्र में 26 देशों के एक ग्रुप ने चीन से तिब्बत, शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया है। मानवाधिकार की स्थिति पर एक बयान देते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से आह्वान किया गया कि वो जल्द जल्द लोगों के मानवाधिकर उल्लंघन पर ध्यान दे। इस दौरान अमेरिका ने आर्थिक शोषण, नस्लवाद और सांस्कृतिक विरासत के विनाश सहित मानवाधिकारों के हनन के लिए चीन की कड़ी निंदा की। आपको बता दें कि, तिब्बत में धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक परंपराओं पर चीन के गंभीर प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका चिंतित रहता है। चीन पर चौतरफा वार फ्रांस ने 26 सदस्य देशों की ओर से यूरोपीय संघ की तरफ से भी चीन के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में बयान दिया है, जिसमें चीन से अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों सहित मानवाधिकारों का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करने के लिए कहा गया है। फ्रांस ने विशेष तौर पर तिब्बत, शिनजियांग और मंगोलिया का जिक्र किया है। 

वहीं, डेनमार्क ने तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टों के बारे में अपनी "गहरी चिंता" व्यक्त की है। वहीं, डेनमार्क ने मांग की है कि, संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को इन क्षेत्रों में जाना चाहिए और वहां की मानवाधिकार स्थिति को करीब से देखना चाहिए। वहीं, जर्मन प्रतिनिधि ने कहा कि वह तिब्बत में व्यवस्थित मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में "गंभीर रूप से चिंतित" है। तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता दे चीन नीदरलैंड ने चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में गंभीर चिंताओं को जताया है, जिसमें मीडिया की स्वतंत्रता और तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता पर लगाए गये प्रतिबंधों को फौरन हटाने की मांग की है। वहीं, स्विट्जरलैंड ने चीन द्वारा अल्पसंख्यकों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखने की निंदा की है और चीन से तिब्बती लोगों के अधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया है। इसी तरह, स्वीडन के प्रतिनिधि ने तिब्बत सहित अल्पसंख्यकों, मानवाधिकार रक्षकों और मीडिया कर्मियों से संबंधित व्यक्तियों को निशाना बनाकर चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की। ब्रिटेन, फिनलैंड और नॉर्वे के प्रतिनिधियों ने भी चीन द्वारा मानवाधिकारों के व्यवस्थित उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की है।